रावणा राजपूत (क्षत्रिय)
Rajput (क्षत्रिय)
राजपूत से अलग होने वाली अंतिम जाति रावणा राजपूत हैं,
RAWNA RAJpUt को सामान्य राजपूत माना गया हैं राजपूत द्वारा , दुनिया भर मे अलग ही पहचान बनाई हैं रावणा राजपूत ने बताया गया हैं कि यह क्षत्रिय रावणा हैं
रावणा राजपूत इतिहास
जो रावणा राजपूत नाम पर शर्म करते है वो जरुर पढे , और अपने सभी रावणा राजपूतो को जागरुक करे , सी आप क्या थे और क्या बने हुये हो ,
रावणा शब्द का वास्तविक अर्थ —
रावणा कोन थे , रावणा राजपूतो का इतिहास क्या है , रावणा का राजघराने से संबध क्या है ,
इतिहास मे हम ना तो शोषित थे और ना हम पिडित थे ,
लेकीन वर्तमान मे गुलामी की ऐसी मानसिकता से पिडित है ,जिस गुलामी को शायद अपने बाप या दादा ने नही भोगा ,इसके ग्वाह तो हम प्रत्येष है ,
रही बात गुलामी की तो हुकुम पुरे भारत की सभी जातिया गुलाम थी ,800 साल मुगलो की और 250 , साल अंग्रेजो की गुलामी और कई जाति विशेष के जो आम होते हुये भी हमारे ऐतिहासिक अनभिश्रता के कारण खास बने हुये है ,
और हमे नीचा दीखाते है जबकी असली रियासतो के राजा , महाराजायो ने मुगलो की गुलामी स्वीकार की और उनके आधिन दास या सेनापति जैसे पदो पर काम कीया ,
राजा कीसी भी रियासत का एक ही होता था , बाकी बची सभी जातिया ,जैसे जाट , माली , गुर्जर ,आम राजपूत आदि सभी उनकी सेवा चाकरी और विभिन्न पदो पर कार्य करते थे ,
जबकी दरोगा , वजीर , ये पद तो राज्य के महत्वपुर्ण पद होते है ,
जिन पर महारानी , के नीचे रानी ख्वासन , इत्यादी के पुत्रो को ही दीया जाता था ,
वर्तमान समय के हीसाब से मंत्री या प्रधान मंत्री ,, ख्वास सचीव या पदअधिकारी ही इतिहास मे दरोगा या वजीर कहलाता था ,
. इसलिए रावणा को गुलामी की मानसिकता को अब छोडना होगा , और शिक्षा और राजनिति मे आगे बढना होगा ,
आजादी से पहले सिर्फ 19 ,रियासते और 3 , ठीकाने थे
इन 22 , रियासत के अंदर हमारे हमारे कीतने लोग होंगे ?????
100 या 200 , 500 , फीर आज सिर्फ 70 , सालो मे रावणा राजपूत समाज की जन संख्या
50-60 लॉख कहा से हो गयी कहा से आये रावणा राजपूत ??
और 22 ,रियासतो के राजा महाराजायो के 70 , सालो मे कीतने उतराअधिकारी हो सकते है ????
ज्यादा से ज्यादा 50 ,
लेकीन आज लॉखो जनसंख्या मे आम खेती करने वाला सामान्य राजपूत भी अपने आप को राजा महाराजायो की अोलाद मान रहा है , और जिन राजपूतो ने राज कीया था , उनके नाम के आगे ,
राव , महाराणा , राणा , सवाई , राजीव , उमराव , या सामंन्त लगता था ,
इतिहास उठाकर देख लो ,
महाराणा प्रताप , कुम्भा राणा , राव मालदेव , राव जैमल , सवाई जय सिह , आदी लेकीन ,
आज राजतन्त्र नही है तो भी उनके वंशजो के नाम महाराजा गजे सिह , महाराणी वसुन्दरा , रानी दीया कुमारी लगता है ,
ये राव , राणा , महाराणा , और रावणा ,
आम राजपूतो के नाम के आगे नही लगता ,अब हम रावणा क्यो है ??????
और रावणा का मतलब क्या है ?????
राव +वर्ण
रावणा
राव का मतलब –राजा महाराजा या श्रेष्ठ व्यक्ति या योद्धा ,
वर्ण का मतलब — वंशज
तो रावणा राजपूत का मतलब हो गया वह राजपूतो जो राजा महाराजा का वंशज का है ,
या खाली राजपूत शब्द आम राजपूत या खेतीबाडी करने वाले सामान्य प्रतिक है ,
जो उच्च घराने के राजपूत वंशज थे उसे रावणा राजपूत कहा गया ,
लेकीन कुछ गद्धार लोगो ने इस समाज को निचा बनाया और सामान्य होते हुये भी खास राजा महाराजा यो के वंशज बन बैठे ,
क्यो की ताकतवर होते है उसे ही बदनाम कीया जाता है ,
.
रावणा राजपूत मे 1000 परिवार मे से 1 , आदमी कोई गुलामी करता है , वो भी उसकी मजबुरी ,हो या और कोई बात हो लेकीन उन एक आदमी की वजह से पुरे समाज को गलत कहना बिल्कुल जायज नही है ,
"सन् 1857 ई मे महाराजा श्री तख्त सिंह जी के शासनकाल में किलेदार और सेनापति श्री अनाङसिह पंवार जैसे विभूति ने मारवाड़ की राजधानी की लाज बनाये रखी थी। इजरायल तक अपने शौर्य की ख्यात लिखवाने वाले मेजर ठाकुर दलपतसिह शेखावत की शौर्य गाथा को कौन भूल सकता है??
"दोनों जातिया एक ही है, सियासत काल में भूमिहीन हुए राजपूतो ने राजे रजवाडो में वेतन भोगी बनकर विभिन्न पदो पर काम करना चालू किया पर कालान्तर में इन राजपूतो को विभिन्न पदों पर नियुक्त पद सूचक नामो से पुकारे जाने लगा क्यों की ये पद वंशानुगत दिए जाने लगे थे, उदहारण के तौर पर वजीर, दरोगा, हजुरिया अन्या अन्य अरबी नामो से इन राजपूतो को राजपूताने में पुकारा जाता था ! बाहरी आक्रमणकारीओ द्वारा राजपूतो में फुट पैदा कर उनको कमजोर किया जा सके इसके कारण अरबी पदों के नाम से इन वेतन भोगी शासनिक पद युक्त कर्मचारी राजपूतो को अपने रिकार्ड में पद के नाम से इन्द्राज किया जो देश की आजादी के बाद भी कायम रहा इस देश भक्त, स्वामिभक्त, विश्वास पात्र राजपूत जाति को वर्तमान में भी इतिहासकारों द्वारा अपनी ना समझी के कारण नीचा दिखाया ! वतमान में यह राजपूत जाति राजस्थान में आर्थिकरूप के पिछड़ी हुई है, राजस्थान में इस राजपूत जाति को अन्य पिछडा वर्ग में शामिल किया गया है राजनितिक इच्छा शक्ति के कारण यह राजपूत जाति रावणा राजपूत जाति के नाम से संगठित हो रही है !
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